फरीदाबाद में किसानों की सहमति से होगा भूमि अधिग्रहण: केंद्रीय मंत्री कृष्णपाल गुर्जर का आश्वासन
हरियाणा सरकार की नई development scheme के तहत फरीदाबाद में नए सेक्टर विकसित किए जा रहे हैं, जहां किसानों से भूमि ली जाएगी। केंद्रीय राज्य मंत्री कृष्णपाल गुर्जर ने स्पष्ट किया कि कोई भी land acquisition किसानों की मर्जी के बिना नहीं होगा। अगर कोई किसान एक एकड़ जमीन देता है, तो उसे उसी सेक्टर में 1000 वर्ग गज का रिहायशी प्लॉट और 200 वर्ग गज का कमर्शियल प्लॉट मिलेगा, यानी कुल 1200 गज का क्षेत्र। यह योजना तिगांव विधानसभा क्षेत्र के किसानों की चिंताओं को दूर करने के लिए बनाई गई है, जो विकास और उनके हितों के बीच संतुलन बनाएगी।
यह project हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण (एचएसवीपी) द्वारा संचालित है, जिसमें कई गांवों को शामिल किया गया है। मंत्री ने कहा कि पुरानी कांग्रेस सरकारों में जबरदस्ती अधिग्रहण होता था, लेकिन अब ऐसा नहीं होगा। किसान अपनी कीमत पर जमीन बेच सकते हैं, और अगर रेट सही न लगे तो उनकी जमीन सुरक्षित रहेगी। कुल मिलाकर, यह योजना किसानों को विकास का हिस्सा बनाती है और उन्हें आर्थिक लाभ पहुंचाती है।
किसानों की चिंताएं और मंत्री का जवाब
तिगांव क्षेत्र के किसान land acquisition की खबरों से चिंतित थे, इसलिए वे पूर्व विधायक ललित नागर के साथ मंत्री से मिले। उन्होंने डर जताया कि सरकार जबरदस्ती जमीन ले लेगी, लेकिन मंत्री ने आश्वासन दिया कि बिना सहमति के कुछ नहीं होगा। यह assurance किसानों के मन से भय निकालने के लिए दिया गया, जो अब अपनी मर्जी से फैसला ले सकेंगे। बैठक में स्पष्ट किया गया कि विकास कार्य किसानों के हितों को ध्यान में रखकर ही होंगे।

मंत्री ने कहा कि किसान अपनी जमीन की कीमत खुद तय कर सकते हैं, और अगर सरकार को ठीक लगे तो सौदा होगा। यह policy पुरानी व्यवस्था से अलग है, जहां किसान बेबस रह जाते थे। अब empowerment पर जोर है, ताकि किसान विकास प्रक्रिया में भागीदार बनें। इससे न केवल विश्वास बढ़ेगा, बल्कि क्षेत्र का समग्र विकास भी सुनिश्चित होगा।
नए सेक्टरों की योजना
फरीदाबाद में new sectors विकसित करने के लिए कई गांवों को चिन्हित किया गया है, जैसे खेड़ी कलां, नचौली और तिगांव। इनमें सेक्टर 94ए, 96, 99 जैसे कई रिहायशी और कमर्शियल क्षेत्र बनेंगे, जो शहर को विस्तार देंगे। एचएसवीपी की टीम गांव-गांव जाकर किसानों से बात कर रही है, लेकिन अभी रुचि कम दिख रही है। यह planning शहर की बढ़ती आबादी को ध्यान में रखकर की गई है, जो आवास और व्यापार की जरूरतों को पूरा करेगी।
योजना में residential plots के अलावा कमर्शियल स्पेस भी होंगे, जो रोजगार के अवसर पैदा करेंगे। मंत्री ने कहा कि किसानों को दिए जाने वाले प्लॉट उसी सेक्टर में होंगे, जहां विकास होगा। यह strategy किसानों को नुकसान से बचाएगी और उन्हें लाभ का हिस्सा बनाएगी। कुल मिलाकर, यह सेक्टर फरीदाबाद को एक आधुनिक शहर बनाने में मदद करेंगे।
किसानों के लिए लाभ और विकल्प
इस scheme से किसानों को बड़ा फायदा होगा, क्योंकि एक एकड़ के बदले 1200 गज का प्लॉट मिलना आर्थिक रूप से मजबूत बनाएगा। वे अपनी जमीन बेचकर नए प्लॉट में निवेश कर सकते हैं, जो मूल्य में बढ़ोतरी करेगा। मंत्री ने जोर दिया कि कोई compulsion नहीं है, किसान अपनी मर्जी से फैसला लें। इससे किसानों की आय बढ़ेगी और वे विकास का हिस्सा बनेंगे।
यदि किसान सहमत न हों, तो उनकी जमीन सुरक्षित रहेगी, जो protection policy का हिस्सा है। यह विकल्प किसानों को सशक्त बनाता है और सरकार की नीयत को साफ दर्शाता है। economic benefits से क्षेत्र में समृद्धि आएगी, जो लंबे समय में फायदेमंद साबित होगी। कुल मिलाकर, यह योजना किसानों और सरकार के बीच विश्वास का पुल बनेगी।
सरकारी नीति और भविष्य की दिशा
मंत्री गुर्जर ने कहा कि भाजपा सरकार किसानों के हितों को प्राथमिकता देती है, जो पुरानी सरकारों से अलग है। यह policy shift विकास को समावेशी बनाती है, जहां जबरदस्ती की कोई जगह नहीं। फरीदाबाद जैसे इलाकों में ऐसी योजनाएं शहर को विस्तार देंगी, लेकिन किसानों की सहमति जरूरी है। इससे अन्य जिलों में भी इसी तरह की नीतियां अपनाई जा सकती हैं।
भविष्य में यह project फरीदाबाद को एनसीआर का महत्वपूर्ण हिस्सा बनाएगा, जहां आवास और व्यापार फलेंगे। sustainable development पर जोर देकर सरकार पर्यावरण और किसानों के हितों का ध्यान रख रही है। विशेषज्ञों का मानना है कि ऐसी नीतियां लंबे समय में सफल होंगी। कुल मिलाकर, यह दिशा हरियाणा के समग्र विकास को मजबूत बनाएगी।
निष्कर्ष
फरीदाबाद में land acquisition scheme किसानों की सहमति पर आधारित है, जो केंद्रीय मंत्री के आश्वासन से स्पष्ट होता है। 1200 गज प्लॉट का ऑफर विकास और हितों के बीच संतुलन बनाता है, लेकिन क्रियान्वयन पर नजर रखना जरूरी है। यह हमें सोचने पर मजबूर करता है कि सरकारी योजनाएं कितनी पारदर्शी हों।
क्या ऐसी policies वाकई किसानों को मजबूत बनाएंगी? पाठकों को विचार करना चाहिए कि inclusive development के जरिए हम कैसे एक बेहतर समाज बना सकते हैं, ताकि विकास सबके लिए फायदेमंद हो।
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